कुण्डली में, चंद्र के पितृ-ऋण ( मातृ ऋण)

पाप का कारण :-  माता नीयत बद :- अपनी संतान पैदा होने के बाद माता को दरबदर जुड़ा करना या दुःखी करना या आपका खुद दुःखी हो जाने पर लापरवाही करना।

आम निशानी:- पड़ोस में कुआँ, दरिया, नदी नाला पूजने की बजाये घर की गंदगी बहाने या जाम करने का जरिया बनाया जा रहा होगा।

जब भी आप विद्या से संबंध करे या पशु जो दूध देता हो उससे  संबंध करे, या हो जाये।  चंडी का पैसा, घड़े का पानी , दिल की शांति रात का आराम ,आय का शुरू होना।  फव्वारा , घर का दूध , संसारी मित्र संबंधियों की छुपी मदद , रेशम के सफ़ेद रंग की बजाय दीवारों पर रंग बदलने के लिए मिट्टी की सफेदी में बदलने लगे अर्थात विफल होने लगे। रूपया जमा किया , तो वह बुरे कामो में यानि कफनों , बीमारियों, जुर्माने में खर्च होता गया और ऐसा समय कभी न आया , की कभी दूसरे से ख़ुशी से दूध पिया या पिलाया।  अगर कोई समय आया होगा, तो मित्र को भी जुटी उड़ाने या निःशुल्क के माल उड़ाने की इच्छा ही पैदा हुई होगी।

उपाय:-  खानदान के प्रत्येक सदस्य से  (जहाँ तक खून का संबंध हो)
एक समान चांदी लेकर, एक ही दिन में साफ़ चलते हुए पानी में सिर से सात बार उतारकर जल प्रवाह कर दे।  परिवार का जो सदस्य हिस्सा न दे सके, तो उसके हिस्से का दस गुना ज्यादा आप खुद डाल दे। आपकी किस्मत अमूमन ३४ साल की आयु के बाद में जाएगी।

पितृ ऋण के रिश्तेदार

आपके खंडन के सभी जीवित बेटे और बेतिया जैसे - बाबा, दादा, चाचा, ताऊ, भाई, भतीजे, बहन, बुआ, बेटी (लेकिन बहन, बुआ, बेटी के पति और बच्चो को इसमे न जोड़ें)

अधिक जानकारी के लिए इन नंबर पर संपर्क करे -०१२४- ६६७४६७१
 व्हाटप्प नं- 9821599237

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